इस बार के बजट में मिडिल क्लास को बड़ी उम्मीदें हैं। उन्हें लग रहा है कि टैक्स स्लैब में बदलाव की उनकी पुरानी मांग इस बार जरूर पूरी होगी। पहला टैक्स स्लैब 2.5 लाख रुपये से 5 लाख रुपये का है।

नई दिल्ली
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा शुक्रवार को पेश किए जाने वाले बजट से लोगों ने बड़ी उम्मीदें लगा रखी हैं। महंगाई और अर्थव्यवस्था में सुस्ती के कारण आमदनी ठहरने का सबसे ज्यादा असर मिडिल क्लास पर पड़ा है। उद्योग के लिए सरकार पहले ही घोषणाएं कर चुकी है, इसलिए देश का मिडिल क्लास इस बात की उम्मीद जता रहा है कि राहत पाने की अब उनकी बारी है और इस बजट से इनकम टैक्स में राहत की उनकी पुरानी मांग जरूर पूरी होगी।
इसके अलावा, सीनियर सिटिजंस और अफॉर्डेबल मकानों का सपना देखने वाले लोग और भी सरकार को आशाभरी निगाहों से देख रहे हैं। लोगों की नजरें इस बात पर भी टिकी होंगी कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण बजट दस्तावेज ब्रीफकेस में लेकर आएंगी या पारंपरिक बही-खाता के रूप में, जैसा उन्होंने अपने पहले बजट में किया था। बहरहाल, बजट पेश होने में बस कुछ घंटे का वक्त बचा है, ऐसे में हम एक नजर डालते हैं मिडिल क्लास की उन मांगों पर जिनके पूरी होने पर वे राहत की सांस लेंगे।
1. व्यक्तिगत आयकर में कटौती
मिडिल क्लास की सबसे बड़ी मांग व्यक्तिगत आयकर में कटौती की है। विशेषज्ञों का मानना है कि इसके लिए सरकार पांच लाख तक की आय को टैक्स फ्री करे, 5-10 लाख तक की आय पर 10%, 10-20 लाख तक की आय पर 20% तथा 20 लाख रुपये से ऊपर की आय पर 30% के आयकर का प्रावधान करे। ऐसा करने से न सिर्फ मिडिल क्लास को फायदा होगा, बल्कि खर्च करने योग्य रकम बढ़ने से खपत को बढ़ावा मिलेगा, जिससे इकॉनमी को रफ्तार मिलेगी।
2. होम लोन पर बढ़ सकती है टैक्स छूट
मध्य वर्ग को राहत देने के लिए सरकार होम लोन के ब्याज पर टैक्स छूट की सीमा में बढ़ोतरी कर सकती है। वर्तमान में इनकम टैक्स के सेक्शन 24 के तहत ब्याज पर 2 लाख रुपये की छूट मिल रही है। उम्मीद जताई जा रही है कि सरकार इस रकम को बढ़ाकर 3.5 लाख तक कर सकती है।
3. बढ़ाई जा सकती है 80सी की सीमा
नौकरीपेशा लोगों के लिए टैक्स से राहत पाने का सबसे बड़ा औजार आयकर अधिनियम का सेक्शन 80सी है। वर्तमान में 80सी के तहत 1.5 लाख रुपये तक छूट है। सेक्शन 80सी के तहत अभी पीपीएफ और एनएससी में किए गए निवेश भी शामिल होते हैं। इस बार के बजट में फाइनैंस मिनिस्ट्री को सेक्शन 80सी के तहत सेविंग्स के लिए 2.50 लाख रुपये तक के टैक्स एग्जेम्पशंस की इजाजत देनी चाहिए, अगर ऐसा होता है तो यह मिडिल क्लास के लिए बड़ा तोहफा होगा। खबर तो यह भी है कि नैशनल सेविंग सर्टिफिकेट्स (NCS) में 50,000 रुपये तक और पब्लिक प्रविडेंट फंड (PPF) में 2.5 लाख रुपये तक निवेश टैक्स फ्री होंगे। पीपीएफ की लिमिट को 1.5 लाख से बढ़ाकर 2.5 लाख रुपये करने से सेविंग्स में बहुत बढ़ोतरी होगी।
4. LTCG पर टैक्स
बचत के लिए मिडिल क्लास अब बैंक बचत खाते में निवेश के बजाय इक्विटी और इक्विटी आधारित म्यूचुअल फंडों में इन्वेस्टमेंट का सहारा ले रहा है। ऐसे में इन्वेस्टमेंट के लिहाज लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स (LTCG) को लेकर सरकार बड़ा ऐलान करे तो भी बड़ी राहत मिलेगी। वर्तमान में LTCG पर 10 फीसदी का टैक्स लगता है। इंडिया इंक की मांग है कि इक्विटी पर एलटीसीजी टैक्स को खत्म किया जाए। उनका कहना है कि एलटीसीजी खत्म होने से इन्वेस्टमेंट ज्यादा आएगा। मोदी सरकार ने 2018-19 में इस टैक्स को दोबारा लागू किया था। सूत्रों के हवाले से खबर है कि सरकार एक या दो साल के लिए पूरी तरह LTCG पर लगने वाले टैक्स को माफ कर दे या घटा दे।
5. ग्रामीण खपत बढ़ाने पर जोर
भारतीय इकॉनमी मुख्यतौर पर कृषि आधारित है। 2019 के आखिर में असमय बारिश, उत्पादन का कम दाम आदि के कारण ग्रामीण आय पर नेगेटिव असर देखने को मिला। ऐसे में, ग्रामीण खपत बढ़ाने के लिए सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP), इन्सेंटिव और सब्सिडी का ऐलान कर सकती है, ताकि बाजार में मांग लौटे।
रियल एस्टेट के क्षेत्र में मिडिल क्लास को मिल सकती हैं ये रियायतें
इस साल बजट में केंद्र सरकार निम्नलिखित घोषणाएं करती है तो इससे न सिर्फ मकान मालिकों तथा संभावित होमबायर्स का बोझ कम होगा, बल्कि सुस्ती से जूझ रहे रियल एस्टेट सेक्टर को भी बढ़ावा मिलेगा।
1. स्टैंडर्ड डिडक्शन में बढ़ोतरी
साल 2002 से ही 30% के स्टैंडर्ड में अब तक कोई बढ़ोतरी नहीं देखी गई है। मकान के रिपेयर, यूटिलिटीज तथा मेनटेनेंस के महंगा होने की वजह से सरकार स्टैंडर्ड डिडक्शन को बढ़ाकर 50% तक कर सकती है।
2. हाउजिंग लोन इंट्रेस्ट पर डिडक्शन में बढ़ोतरी
केंद्र सरकार परेशान मकान मालिकों के बोझ को कम करने के लिए हाउजिंग लोन के इंट्रेस्ट पर मिलने वाले डिडक्शन को बढ़ाकर कम से कम 5 लाख रुपये तक कर सकती है, साथ ही लॉस की भरपाई के लिए लिमिट को भी बढ़ा सकती है। हाउजिंग लोन पर इंट्रेस्ट को डिडक्शन के रूप में क्लेम किया जा सकता है। सेल्फ ऑक्यूपाई हाउस प्रॉपर्टी के लिए डिडक्शन की सीमा 2 लाख रुपये है, हालांकि किराये पर लगाई गई हाउस प्रॉपर्टी के लिए डिडक्शन के रूप में क्लेम किए जा सकने के लिए ब्याज की रकम की कोई ऊपरी सीमा नहीं है।
3. ब्याज पर बढ़ेगी छूट
इस पर जो प्रस्ताव आए हैं, अगर उन पर सहमति बनी तो इनकम टैक्स के सेक्शन 24 के तहत अभी ब्याज पर 2 लाख रुपये की छूट दी जा रही है, जिसे बढ़ाकर 3 से 4 लाख रुपये तक करने की सिफारिश की गई है। इसके अलावा, कंस्ट्रक्शन पीरियड के दौरान ब्याज पर छूट देने पर विचार किया जा रहा है।
4. प्रिंसिपल अमाउंट पर भी बढ़ेगी छूट!
सूत्रों के मुताबिक, होम लोन के प्रिंसिपल पर भी छूट की सीमा बढ़ाई जा सकती है। होम लोन के प्रिंसिपल पर अलग से छूट देने के विकल्प पर चर्चा हो रही है। सेक्शन 80 सी के तहत होम लोन के प्रिंसिपल पर छूट मिलती है। एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, सरकार चाहती है कि होम लोन पर छूट इस तरह से मिले कि सरकार पर ज्यादा बोझ न पड़े। साथ ही आम कस्टमर्स की जेब में अच्छा-खासा पैसा चला जाए। इसके लिए अनेक तरह के प्रस्तावों पर विचार किया जा रहा है।
सीनियर सिटिजंस के लिए क्या हो सकता है खास?
1. दोनों उम्र कैटिगरी को एक साथ मिलाना
इनकम टैक्स कानून के अनुसार, सीनियर सिटिजंस को दो समूहों में बांटा गया है – सीनियर सिटिजंस और सुपर सीनियर सिटिजंस। इनमें से प्रत्येक समूह के लिए टैक्स सम्बन्धी कानून भी अलग-अलग हैं। सीनियर सिटिजंस यानी 60 से 80 साल की उम्र के लोगों के लिए 3 लाख रुपये की इनकम तक टैक्स माफ है। सुपर सीनियर सिटिजंस यानी 80 साल से ज्यादा उम्र के लोगों के लिए 5 लाख रुपये की इनकम तक टैक्स माफ है। रिटायर्ड लोग चाहते हैं कि यह अंतर खत्म हो जाए, क्योंकि कई लोगों के पास पेंशन और इन्वेस्टमेंट को छोड़कर इनकम का कोई अन्य साधन नहीं है। उनका मानना है कि सबके लिए 5 लाख रुपये की छूट सीमा तय की जानी चाहिए, ताकि सभी सीनियर सिटिजंस पर टैक्स का बोझ कम हो सके।
2. टैक्स स्लैब पर फिर से काम होगा?
मौजूदा टैक्स स्लैब के अनुसार, सीनियर सिटिजंस को अलग-अलग रेट के हिसाब से टैक्स देना पड़ता है। सरकार को इन टैक्स स्लैब पर फिर से काम करना चाहिए, ताकि सीनियर सिटिजंस के हाथ में ज्यादा पैसे बच सके। वर्तमान में, टैक्स पर अलग से 4% का हेल्थ और एजुकेशन सेस भी लिया जाता है। सरकार को सीनियर सिटिजंस के लिए इस सेस और अन्य सरचार्ज को कम या खत्म करने के बारे में सोचना चाहिए, ताकि उनके हाथ में अपनी सेहत और अन्य जरूरतों के लिए ज्यादा पैसे बच सकें।
3. महंगाई को मात देने वाला इन्वेस्टमेंट ऑप्शंस मिलेगा?
सरकार सीनियर सिटिजंस को अधिक से अधिक महंगाई को मात देने वाले सेविंग्स और इन्वेस्टमेंट ऑप्शंस देने के बारे में सोच सकती है। वर्तमान में, सीनियर सिटिजंस सेविंग्स स्कीम में 15 लाख रुपये तक इन्वेस्ट किया जा सकता है, जिस पर 8.6% प्रति वर्ष की दर से सुनिश्चित रिटर्न मिलता है। सरकार इस सीमा को बढ़ाने, ज्यादा रेट ऑफ रिटर्न देने और एक कम लॉक-इन फिक्स करने के बारे में सोच सकती है। इससे सीनियर सिटिजंस की खरीदने की ताकत बढ़ जाएगी और रिटायरमेंट के समय उन्हें बेहतर लिक्विडिटी मिल पाएगी।
अधिक से अधिक टैक्स छूट वाला इंट्रेस्ट इनकम
तरह-तरह की सेविंग्स और डिपॉजिट स्कीम्स से मिलने वाला इंट्रेस्ट, सीनियर सिटिजंस के लिए इनकम का एक मुख्य स्रोत होता है। इनकम टैक्स ऐक्ट के सेक्शन 80TTB के तहत सीनियर सिटिजंस को तरह-तरह के स्रोत से मिलने वाले इंट्रेस्ट इनकम पर 50,000 रुपये तक की टैक्स छूट मिल सकती है। सरकार इस लिमिट को डबल करके 1 लाख रुपये करने के बारे में सोच सकती है।
बढ़ते हेल्थकेयर कॉस्ट पर ध्यान देना
इनकम टैक्स के सेक्शन 80D के तहत सीनियर सिटिजंस को हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम और मेडिकल खर्च के लिए 50,000 रुपये का टैक्स डिडक्शन मिल सकता है। मेडिकल क्षेत्र में बढ़ती महंगाई के कारण, सरकार सक्रिय रूप से हर साल इस छूट सीमा को बढ़ाने के बारे में सोच सकती है, लेकिन नियमों के अनुसार, यदि एक सीनियर सिटिजन के पास हेल्थ इंश्योरेंस कवरेज है तो वह मेडिकल खर्च के लिए अलग से डिडक्शन के लिए क्लेम नहीं कर सकता है। इस नियम को बदल देना चाहिए। हेल्थकेयर से जुड़े ऐसे कई तरह के खर्च हैं, जिन्हें हेल्थ इंश्योरेंस द्वारा कवर नहीं किया जाता है।