नई दिल्ली एयर पोर्ट पर पहुंते अफगानिस्तान से आए सिख। अफगानिस्तान में हिंसा और उत्पीड़न की वजह से मुश्किल से 100 परिवार ही हिंदू और सिखों के बचे हैं।

  • अफगानिस्तान में उत्पीड़न और हत्याओं के बाद हिंदू और सिखों के मात्र 100 परिवार बचे हैं
  • अफगानिस्तान के पकटिया प्रांत के गुरुद्वारे से निदान सिंह का तालिबानियों ने अपहरण किया

अफगानिस्तान से 11 सिख रविवार को भारत आए। इनमें तालिबानियों से बचाई गई नाबालिग और गुरुद्वारा से अगवा किए गए निदान सिंह शामिल हैं। इन सिखों ने दिल्ली एयरपोर्ट पर पहुंचकर कहा कि हिंदुस्तान ही हमारा माता और पिता है। सभी का एयरपोर्ट पर स्वागत किया गया। ये सिख अभी शार्ट टर्म वीजा पर भारत आए हैं।

विदेश मंत्रालय ने हाल ही में घोषणा की थी कि अफगानिस्तान में परेशानियां झेल रहे अफगान हिंदू और सिख समुदाय के सदस्यों की भारत में वापसी की सहूलियत दी जाएगी। यह फैसला काबुल के गुरुद्वारे में हुए आतंकी हमले के बाद आया था। इसमें 25 लोगों की मौत हो गई थी।

भारत ने अफगानिस्तान में आतंकवादियों द्वारा अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों के उत्पीड़न और हत्या की निंदा की और इसे गंभीर चिंता का विषय भी बताया है।

अफगानी सिख समुदाय ने भारत से लॉन्ग टर्म वीजा की मांग की थी
अफगान सिख समुदाय के नेताओं ने भारत सरकार से अपील की थी कि वे अफगानिस्तान के सिखों और हिंदुओं को देश में शरण दें। उन्हें लॉन्ग टर्म मल्टिपल एंट्री वीजा दिया जाए। कभी अफगानिस्तान में 2 लाख 50 हजार सिख और हिंदू रहते थे। हिंसा और उत्पीड़न से उनकी संख्या में कमी हुई है। अब हिंदू और सिखों के 100 परिवार ही बचे हैं।

निदान सिंह की रिहाई में भारत की भूमिका थी
अफगानिस्तान के पकटिया प्रांत के गुरुद्वारे से निदान सिंह का तालिबानियों ने अपहरण कर लिया था। उनकी पत्नी ने रिहाई के लिए पीएम मोदी को पत्र लिखा था। भारत के कोशिश से निदान सिंह की रिहाई हुई थी। निदान सिंह के साथ 16 साल की नाबालिग को भी बचाया गया था। तालिबानी आतंकी उसको जबरन मुस्लिम बनाकर शादी करना चाह रहे थे।